Government proposes to establish Nyaya Panchayats in every Gram Panchayat or a cluster of Gram Panchayats, for providing a system of fair and speedy justice, both civil and criminal, to the citizens at their doorsteps, outside the formal judicial system. The Nyaya Panchayats are proposed to be constituted through the election of the Nyaya Panchas by people residing in the area to which the jurisdiction of the Nyaya Panchayats extends. Provisions are proposed for the reservation for women, Scheduled Castes and Scheduled Tribes to ensure their representation in the Nyaya Panchayats. The Draft Bill defines the civil, criminal and additional jurisdiction of Nyaya Panchayats. In the Draft Bill, conciliation is proposed as a primary means of dispute resolution. Further, Nyaya Sahayaks, who will assist the Nyaya Panchayat in performing their function of dispute resolution, have been proposed. Nyaya Panchayats are proposed as separate and independent dispute resolution bodies, distinct from the Gram Panchayats.
Following is excerpt from poem Rashmirathi written by Ram dhari singh dinkar. Karna reply to Krishna when he told story of his birth and ask him to join pandava side. सुन-सुन कर कर्ण अधीर हुआ, क्षण एक तनिक गंभीर हुआ, फिर कहा "बड़ी यह माया है, जो कुछ आपने बताया है दिनमणि से सुनकर वही कथा मैं भोग चुका हूँ ग्लानि व्यथा मैं ध्यान जन्म का धरता हूँ, उन्मन यह सोचा करता हूँ, कैसी होगी वह माँ कराल, निज तन से जो शिशु को निकाल धाराओं में धर आती है, अथवा जीवित दफनाती है? सेवती मास दस तक जिसको, पालती उदर में रख जिसको, जीवन का अंश खिलाती है, अन्तर का रुधिर पिलाती है आती फिर उसको फ़ेंक कहीं, नागिन होगी वह नारि नहीं हे कृष्ण आप चुप ही रहिये, इस पर न अधिक कुछ भी कहिये सुनना न चाहते तनिक श्रवण, जिस माँ ने मेरा किया जनन वह नहीं नारि कुल्पाली थी, सर्पिणी परम विकराली थी पत्थर समान उसका हिय था, सुत से समाज बढ़ कर प्रिय था गोदी में आग लगा कर के, मेरा कुल-वंश छिपा कर के दुश्मन का उसने काम किया, माताओं को बदनाम किया माँ...
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