शब्द हैं विचार हैं।
शब्दों में विचार है, या
विचारों में शब्द है।
कभी विचार हैं तो शब्द नहीं, और
कभी शब्द हैं तो विचार नहीं।
न विचार सदा रहे बंधे,
शब्दों के जाल में।
न शब्द सर्वदा रहे,
विचारों के प्रभाव में।
शब्द जो निशब्द है,
विचार सब व्यर्थ है।
विचार जो भ्रांत है,
शब्द सब निरर्थ हैं।
उपयुक्त विचार अयुक्त शब्द,
युद्ध का प्रारब्ध है।
कुटिल विचार मृदु शब्द,
विध्वंस का आरम्भ है।
शब्द व विचार के इस युद्ध को विराम देकर।
विचारों के सागर से शब्दों के मोती निकालकर,
उन मोतियों को विचारों के धागों में पिरोने वाला।
जिसने इनका निष्कलंक संतुलन है पाया,
वही उत्तम मनुष्य है कहलाया।
शब्द एवं विचारों के मध्य उत्तम तारमत्मय!!
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteसंतुलित शब्दों....का....अति उत्तम विचार.......Perfect Perfect n Perfect.......GO ON.....💫💫✍✍👏👏👏
ReplyDeleteकुटिल विचार मृदु शब्द विध्वंस का आरम्भ हैं (अत्यंत महत्वपूर्ण)
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